NEP (नई शिक्षा नीति): अगर आप ग्रेजुएशन कर रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी खबर है। बीए (बैचलर ऑफ आर्ट्स), बीएससी (बैचलर ऑफ साइंस), बीकॉम (बैचलर एंड कॉमर्स) आदि कोर्स करने वाले छात्रों की डिग्री अब 3 साल के बजाय 4 साल की होने वाली है. अब छात्रों का ग्रेजुएशन 3 साल के बजाय 4 साल में पूरा होगा। दरअसल यह बदलाव एनईपी (नई शिक्षा नीति) के तहत ही लागू किया जा रहा है। अब स्नातक के लिए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) की रूपरेखा तैयार की गई है। हालांकि इससे पहले कुछ राज्यों में NEP (नई शिक्षा नीति) पहले ही लागू हो चुकी है।
इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भी एनईपी लागू होगा।
NEP (नई शिक्षा नीति) के तहत अब ग्रेजुएशन 3 साल के बजाय 4 साल का होगा। इसके लिए चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) की रूपरेखा भी तैयार कर ली गई है। जानकारी के अनुसार देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) लागू किया जाएगा। इतना ही नहीं, देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अधिकांश राज्य स्तर और निजी विश्वविद्यालयों में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (एफवाईयूपी) लागू किया जाएगा। फिलहाल इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। लेकिन यह नीति इसी सत्र से नहीं बल्कि सत्र 2023-24 के छात्रों के लिए लागू की जाएगी।
ये छात्र भी एनईपी में शामिल होंगे (इन छात्रों को भी एनईपी में शामिल किया जाएगा) –
शैक्षणिक सत्र 2022-23 या 2021-22 के छात्र भी स्नातक छात्रों के लिए शैक्षणिक सत्र 2023-24 से लागू किए जा रहे चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम (FYUP) में शामिल हो पाएंगे या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। हालांकि यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रमों की पूरी योजना जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी. प्राप्त जानकारी के अनुसार अन्य सत्र के छात्र भी इस एनईपी (नई शिक्षा नीति) का हिस्सा बन सकते हैं. यानी अगर कोई छात्र 2023 में फाइनल ईयर में है तो वह भी 4 साल में अपनी डिग्री पूरी कर सकता है। फिलहाल इस योजना को सार्वजनिक नहीं किया गया है। जल्द ही एनईपी (नई शिक्षा नीति) की पूरी योजना सार्वजनिक की जाएगी।
नई शिक्षा नीति से शिक्षक व संगठन नाराज
शैक्षणिक सत्र 2023-24 से एनईपी (नई शिक्षा नीति) के तहत चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट कोर्स (एफवाईयूपी) लागू होने से कई शिक्षक व शिक्षक संगठन भी नाराज हैं। उनका कहना है कि इस तरह से एनईपी (नई शिक्षा नीति) के तहत 3 साल की डिग्री को 4 साल किया जा रहा है, यह गलत है. क्योंकि इस तरह से 3 साल की डिग्री घटाकर 4 साल करने से छात्रों पर आर्थिक दबाव पड़ेगा. इस वजह से कई शिक्षक और शिक्षक संगठन इस बदलाव से खासे नाराज नजर आ रहे हैं.
यह कोर्स जल्द ही बंद हो सकता है
आगामी सत्र 2022-23 से देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अधिकांश राज्य स्तर और निजी विश्वविद्यालयों में 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो रहे हैं। जिसके बाद दो साल का पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स होगा। वहीं एमफिल के छात्रों को पीएचडी में प्रवेश के लिए 55 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य होगा। हालांकि इस बदलाव के बाद एमफिल कोर्स के भविष्य को लेकर काफी भ्रम है। धीरे-धीरे सभी कॉलेज एमफिल कोर्स बंद कर सकते हैं। हालांकि यह सब एनईपी (नई शिक्षा नीति) के आने के बाद ही स्पष्ट होगा।
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